Saturday 27 August 2011

मायज़म सिद्धांत (The theory of Miasm)

मायज़म का सिद्धांत हनीमन ने उसकी पुस्तिका जीर्ण रोग में रखा. हनी मन ने कहा की यह सिद्धांत उसकी १२ साल की कड़ी मेहनत का नतीजा है.

उसने कहा की यही मायझम हर जीर्ण रोग की जड़ है. केंट ने इस सिद्धांत को बड़े पैमाने पर प्रस्थापित किया. उसने ऐसी दवा भी बतलाई जो इस प्रकार के मायज़म में आराम देगी.

मायज़म का मतलब है एक बदल जो स्वास्थ्य पर छा जाता है. उसने कहा की ८५ % यह आवरण सोरा के रूप में होता है. १५ % यह सिफिलिस या सायकोसिस का रूप लेता है.

सोरा - इस ग्रीक शब्द का अर्थ है कलंक. हनीमन का यह मानना था की त्वचा की बीमारी में, एलर्जी में, बवासीर में सोरा का आवरण छाया रहता है. सोरा आवरण का प्रमुख लक्षण है खुजली होना.
इसकी प्रमुख दवा है. सल्फर, नैटरम मर, कैल्क कार्ब, अर्सेनिकम ऐल्बम, फोस्फोरस इत्यादि.

सायकोसिस  - यह आवरण यौन रोगों में, मूत्र विकारो में, जोड़ो के दर्द में और बलगम के रिसाव में पाया जाता है. मस्सा भी इसका प्रतीक माना जाता है. इस आवरण में तकलीफ वातावरण की नमी से बढ़ जाती है. सास की तकलीफ, नजला, पेशाब में जलन यह पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से इस आवरण को दर्शाते है. इसकी प्रमुख औषधि है थूजा, लेकोपोडियम, नैटरम सल्फ़, कासटीकम इत्यादि.

सिफिलिस - इस आवरण से वात विकार होते है, रक्त के और हड्डी के विकार होते है. तरह तरह के मन के विकार भी हो सकते है. जैसे दारू के अधीन हो जाना, खुदखुशी करने की प्रवृत्ति रखना, पागलपन, फोड़े बनना. ह्रदय रोग और रात को बढ़ने वाले रोग भी इस आवरण के कारण हो सकते है. इसके मुख्य दवाइयां है - आर्सेनिक एल्ब, औरम मेट, मेरकुरी, फोस्फोरुस.



हमें यह लगता है की बहोत ज्यादा इस सिद्धांत में उलझने से यह बेहतर है की समग्र लक्षणों के आधार पर दवा का चयन करे. होम्योपैथी की हर प्रमुख दवा में अनेक आवरणों को हटाने की क्षमता है.

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