Thursday 22 September 2011

परिक्षण को अनदेखा न करे, बहोत ज्यादा अतिरेक भी न करे.

यह बहोत जरुरी है की आवश्यक परिक्षण भी किये जाये. यदि किसी व्यक्ति को चक्कर आ रहे है तो उसका बी पी और ब्लड शुगर देख ले.
बात तो सही है की होम्योपैथी में दवा समग्र लक्षण के आधार पर दी जाती है लेकिन यह भी आवश्यक है की व्यक्ति अपना ब्लड शुगर और बी पी नियंत्रित रखे.
एक बुजुर्ग आदमी को चक्कर आने लगे. इसके पहले जब उन्हें चक्कर आये थे तो नक्स वोमिका २०० से आराम हुआ था. सो उन्हें नक्स वोमिका २०० की एक खुराक दी गयी.
बाद में आर्ग निट २०० भी दिया गया क्यों की वे एक उथल पुथल वाले सम्मलेन में जाने को लेकर परेशान थे.
बाद में काली कार्ब २०० और नक्स वोमिका २०० की एक एक खुराक ने उन्हें राहत पहुचाई.
उन्होंने जब अपना ब्लड शुगर और बी पी चेक किया तो पाया की ब्लड शुगर बढ़ा हुआ है. असली आराम तो उसे नियंत्रित करने से ही मिलेगा. तो क्या हर छाती के दर्द के लिए दिल की जाच कराये और सरदर्द के लिए दिमाग का फोटो निकाले? सोचना तो आपको है. इसे अत्यंत आगे ले जाना और पीछे छोड़ देना दोनों खतरे से खाली नहीं.

Wednesday 7 September 2011

होम्योपैथी की दवाइयों में आंतर संबंधो को समझाने वाला एक लेख. (An article explaining inter-relationship of homeopathic remedies.)

होम्योपैथी में दवाए एक दुसरे से सम्बन्ध रखती है. अर्थात एक दवा दूसरी दवा का अनुसरण करने वाली हो सकती है. या एक दवा दूसरी दवा को निरस्त्र करने वाली हो सकती है. दो दवाइया आपस में वैर भाव रखने वाली भी हो सकती है. ऐसा भी संभव है की दो दवाइया एक दुसरे की पूरक हो. और ऐसा भी की दो दवाइयों में कोई भी सम्बन्ध न हो.
हमने जब पहले कहा था की होम्योपैथी में दवाइयों का क्रम मायने रखता है तो इस बात को मद्देनजर रख कर कहा था.
एक बन्दा जो उच्च विद्या विभूषित है, जिसका कमाने की  ओर ध्यान कम है और कहता है की कमाने से अधिक इस बात की ओर ध्यान दे की हमने योगदान कितना किया इसका मूल्यांकन होना चाहिए. सो है तो सल्फर ही. उसे बवासीर की भी तकलीफ थी जिसमे उसे सल्फर और नैट्रिक एसिड ने अच्छा लाभ दिलाया. उसे हरदम एक मीठा मीठा सरदर्द भी चलते रहता है जिससे वह कोई काम लम्बे समय के लिए नहीं कर पाता है. लेकिन कब उसका दिमाग फिर जाए कुछ भरोसा नहीं सो उसमे नक्स वोमिका की झलक भी मिलती है. सर्दी में वह पैर में इतना दर्द महसूस करता है की पैर को जमीन पर रखते ही दर्द होता है और यदि वह ठंडी हवा में सर्दी के मौसम में रहे तो उसके पैर की उंगलियों में सुजन भी आ जाती है. इस तकलीफ में उसे सैलेशिया से राहत मिल जाती है.
एक बार उसने दूषित जल पी लिया. बाद में वह बहोत घबराने लगा. तब उसे आर्सेनिक एल्ब २०० और उसके बाद में सल्फर २०० देने से राहत मिली. जब आदमी खुद की चिंता करता है तो आर्सेनिक एल्ब से राहत मिलती है इस आधार पर उसे आर्सेनिक एल्ब दिया गया. फिर उसे कुछ कब्ज हुई जिसे सल्फर ने ठीक कर दिया. इसके पहले जब उसने ऐसा किया था तो उसे एंटीबायोटिक्स लेने पड़े थे और कुल मिला कर १००-१५० का खर्चा हुआ था.

इस बार बहाना ऐसा हुआ की उसने ३ साल पुराना गुड खा लिया. देखने से ऐसा लगता था की गुड के ऊपर फंगस जमी हुई है. कुछ दिनों के बाद उसे पतले दस्त हुए. दस्त तो पतले थे लेकिन पेट साफ़ नहीं हो रहा था. उसे कैल्क कार्ब २००  की कुछ खुराक दी गयी लेकिन लाभ नहीं हुआ. यहाँ कैल्क का प्रयोग इस आधार पर किया गया की उसपर सिलीशिया काम करती है और सल्फर के बाद कैल्क कार्ब अच्छा असर दिखाती है. उसका पेट थोडा भोजन खाने से ही भरी हो जाता. कुमारी आसव लेने से उसके पेट के भरी होने की समस्या ख़त्म हो गयी. फिर उसे एंटीमोनियम क्रड  २०० खिलाया गया. इसके लगभग एक हप्ते बाद उसे जमकर सर्दी हुई. उसने एक परिचित के यहाँ गरिष्ट भोजन किया. दुसरे दिन उसे बुखार आ गया. उसे नक्स वोमिका २०० और रहस टाक्स २०० अलट पलट कर दिया गया. लेकिन उसका बुखार कम नहीं हुआ. वह अंग्रेजी डाक्टर के पास गया जहा उसे एंटीबायोटिक और एंटीपायरेटिक दिया गया. उसकी प्यास एकदम ख़त्म हो चुकी थी इस आधार पर उसे लायको पोडियम २०० का एक डोज भी दिया गया. जिससे उसे बुखार में तो कुछ राहत मिली लेकिन उसे सर्दी में राहत नहीं मिली. गला भी दर्द हो रहा था और उसे निगलते वक़्त तकलीफ हो रही थी. उसे सिलीशिया २०० दिया गया और बाद में काली मुर ३० और नैटरम फोस ३० दिया गया. अब वह बेहतर महसूस कर रहा है.
उसकी प्यास एकदम ख़त्म हो चुकी थी इस आधार पर उसे बेलाडोंना  २०० का एक डोज भी दिया गया. इसका एक और आधार बनता था उसका सर गर्म होना और बाकि बदन ठंडा. उसके होठ पर एक फोड़ा बन गया है जो एंटीमोनिअम क्रड लेने के बाद उभरा. नक्स वोमिका के कारण फोड़े में तात्कालिक राहत तो मिली लेकिन वह फोड़ा अब भी बरकरार है. काली मुर का चयन कब्ज और इस फोड़े के आधार पर ही किया गया.
लेकिन पूरी बात को यदि देखे तो पता चलेगा की पुराना गुड खाने से और गरिष्ट भोजन करने से सब मुसीबतों को आमंत्रण मिला. इसलिए कहना चाहेंगे की पथ्य ही सर्वोत्तम दवा है.
दो दिन एंटी बायोटिक और एंटी पायरेटिक लेने के बाद भी उसे पूरी राहत नहीं मिली, और उसका पेट साफ़ तो हुआ ही नहीं जो सभी समस्याओ की जड़ था. चुकी उसने सडा हुआ गुड खाया था सो उसे आर्सेनिक एल्ब २०० दिया गया. होम्योपैथी में सल्फर के बारे में कहते है की वह ऐकुट बीमारी में अंत में प्रयोग से बीमारी को ख़त्म कर देता है. सो उसे रात में सल्फर २०० की एक खुराक दी गयी. दुसरे दिन उसे पेट साफ़ होने का अहसास हुआ.

Monday 5 September 2011

कुछ और आयुर्वेदिक दवाइयाँ (Few more ayurvedic remedies.)

यहाँ हम कुछ और आयुर्वेदिक दवाइयों के बारे में आपको बता रहे है.

१. कुमारी आसव
यह घृत कुमारी से बना होने के कारण इसे कुमारी आसव कहा जाता है. यह पेट की एक जबरदस्त दवा है. वैसे इसका नाम कुमारी आसव होने से पुरुष को घबराने की जरूरत नहीं है.
यदि पेट में दर्द हो, पाचन ठीक से ना हो रहा हो, पेट फूल गया हो, खाने की इच्छा न हो रही हो तो इसके प्रयोग से लाभ होता है. पेट में गैस बनने की शिकायत पर भी यह दवा काम करती है.

२. त्रिफला चूर्ण

यह कब्ज पर काम करने वाला चूर्ण है. इसे रात को सोते समय गरम पानी से लेने से सुबह उठके पेट साफ हो जाता है. इस में आमला होने से यह आँख को फायदा दे सकता है. इसी तरह बहेड़ा से शास के विकार में मदद हो सकती है और फेफड़े मजबूत हो सकते है. रोजाना इसका प्रयोग करना उचित नहीं है. कपालभाती प्राणायाम और अग्निसार क्रिया कब्ज का एक निर्दोष उपाय है और इन प्राणायाम के करने से अनेक लाभ भी होते है. त्रिफला चूर्ण को रात में सोते समय केवल गरम पानी के साथ (ठन्डे के साथ नहीं) एक चम्मच ले.

३. महासुदर्शन चूर्ण

इस चूर्ण का सेवन सभी प्रकार के बुखार में अच्छा लाभ देता है. बुखार के बाद की कमजोरी के लिए भी यह अछि दवा है. इसका सेवन अमृतारिष्ट के साथ करने से यह अधिक लाभ करता है.

४. आमलकी रसायन

यह आख के विकारो में जैसा आँख के रौशनी कम होना, आँख लाल होना, धुप के कारण या अन्यथा आँख में जलन होना ऐसे सभी लक्षणों पर काम करता है. आप इसके अभाव में आमला चूर्ण या आमला स्वरस भी ले सकते है.

Friday 2 September 2011

जेल्सेमियम (Gelsemium)

इस दवा का प्रयोग व्यक्ति यदि स्टेज पर जाने से घबराए तो हो सकता है. यह व्यक्ति कमजोरी महसूस करता है और कापता है. ऐसे लक्षण पक्षाघात या कम्पवात में भी हो सकते है.
इस व्यक्ति को सर्दी की शिकायत हो सकती है. इसके नाक से पतला या गाढ़ा पानी (द्रव) निकल सकता है.
बरसात के मौसम में जब गर्म वातावरण में सर्दी होती है तो इसका विशेष असर हो सकता है.
हडबडाहट के कारण यदि आदमी को स्त्री से सम्बन्ध रखने में दिक्कत होती है तब भी इसका प्रयोग हो सकता है.
एक रोते बच्चे पर जिसको गोद से निचे उतरने की बिलकुल इच्छा नहीं है, यह दवा काम कर सकती है.

कासटीकम (Causticum)

यह दवा उन लोगो पर अच्छा असर दिखाती है जो दुसरो के प्रति सहानुभूति रखते है और समाज के लिए कुछ करना चाहते है. यह व्यक्ति अक्सर कर्तव्य परायण होता है.

इस व्यक्ति के हाथ पैर में काफी दर्द हो सकता है. इसे पक्षाघात या कम्पवात भी हो सकता है.

इसे नींद आने की समस्या हो सकती है. बिस्तर की गर्मी से यह बेहतर भी महसूस कर सकता है.

इसे मस्सो में भी प्रयोग में लाया जाता है.

इस व्यक्ति की तकलीफ उसके बारे में अर्थात तकलीफ के बारे में सोचने पर बढ़ सकती है. खासकर बवासीर में ऐसा होने की संभावना ज्यादा है.

यह व्यक्ति अपमान या दुःख को सीने से लगाकर उसका अपनी तबियत पर गलत प्रभाव डाल सकता है.

इसको पैखाना सख्त होने की सम्भावना है. कब्ज की भी संभावना हो सकती है.

आपरेशन के बाद यदि पेशाब रुकी हुई है तो यह दवा काम करती है.

आर्गेनटम निट (Argentum Nit)

यह दवा घबराहट की प्रमुख दवाइयों में से एक है. जब व्यक्ति को कही जाना होता है और उसे घबराहट होती है तो यह दवा प्रयुक्त कर सकते है.
यह दवा दस्त पर भी असर करती है ऐसे दस्त जो घबराहट के कारण होते है.
पक्षाघात पर भी इस दवा का असर देखा गया है.
यह व्यक्ति खुली हवा को पसंद करता है. इसे ठंडा मौसम अच्छा लगता है.
इस दवा का असर आँख पर भी देखा गया है.