Wednesday 31 August 2011

सीना (Cina)

यह कृमी की एक जबरदस्त दवा है. जब भी किसी को पेट में कृमी की शिकायत हो तो इस दवा को प्रयोग कर सकते है.
इस दवा का लक्षण यह भी है की आदमी चिडचिडा हो जाता है.
बच्चे की भूख बढ़ना और शरीर में बढौतरी न होना भी इसका लक्षण मान सकते है.

कैमोमिला (Chamomila)

यह प्रमुख रूप से छोटे बच्चो की दवा है.
यह बच्चा बहोत चिड चिड़ा है.
यदि बच्चे को कब्ज की शिकायत है तो किमोमिला का प्रयोग न किया जाए.
दात निकलते वक़्त जब बच्चे बहोत चिड चिड़े हो जाते है और उन्हें दस्त भी होते है तो यह दवा काम करती है.

Monday 29 August 2011

सेनेगा (Senega)

यह दवा आँख पर जबरदस्त असर रखती है. कोर्नेया के ऊपर काली परत जमना इसका एक लक्षण है.
आँख के पक्षाघात में भी यह दवा काम करती है. आँख से पानी आना भी इसका लक्षण है.
यह व्यक्ति जब आँख बंद करके कुर्सीसे टेककर गर्दन पीछे की ओर झुकाकर आराम करता है तो बेहतर महसूस करता है.

आयुर्वेदिक दवाइयाँ जो हम अधिकतर होम्योपैथी दवाइयों के साथ प्रयोग में लाते है. (Ayurvedic remedies that we include often in our treatment plan.)

हम अक्सर निचे दी हुई आयुर्वेदिक दवाइयों का प्रयोग होम्योपैथिक दवाइयों के साथ करते है. जैसा की हम पहले देख चुके है की ये दवाइयाँ शरीर की विभिन्न व्यवस्थाओ को शक्ति प्रदान करती है.

१. चंद्रप्रभा वटी -

यह मूत्र रोगों पर और यौन रोगों पर विशेष असर दिखाती है. 
बार बार पेशाब को जाना, पेशाब में शक्कर का जाना,
स्त्री को सफ़ेद पानी का जाना, मासिक धर्म की अनियमितताए,
पुरुषो को पेशाब में धातु जाने की समस्या,
पेशाब में जलन होना ऐसे अनेक विकारो पर यह दवा काम करती है.

यह स्नायु और हड्डी को भी मजबूती प्रदान करती है. इसलिए इसका प्रयोग कमजोरी में भी करते है.

इसकी १-१ गोली सुबह शाम नाश्ते या भोजन के बाद पानीसे ले. इसे शहद से या दूध से भी ले सकते है. गोली को दात से तोड़े फिर निगले या पहले ही तोड़कर फिर निगले.

२. योगराज गुग्गुलु

इस दवा का प्रयोग स्नायुओ को मजबूती प्रदान करता है. बुढ़ापे की व्याधियो जैसे पैर की पिंडलियों में दर्द होना, घुटनों में दर्द होना वगैराह उसमे यह दवा अच्छा असर दिखाती है.
इसकी १-१ गोली सुबह शाम नाश्ते या भोजन के बाद पानीसे ले. इसे शहद से या दूध से भी ले सकते है. गोली को दात से तोड़े फिर निगले या पहले ही तोड़कर फिर निगले.

३. त्रयोदशांग गुग्गुलु

यह वात विकारो की एक जबरदस्त दवा है. इसके प्रयोग से लकवे (पक्षाघात) में अद्भुत लाभ होता है. लकवा होने के बाद जितने जल्दी इसे प्रयोग में लाया जायेगा लाभ उतना ही जल्द होंगा. यदि लकवा होने के बाद बहोत समय बीत गया है तो एक लम्बे काल के लिए इस दवा का नियमित सेवन करना होगा.
सर्वाइकल स्पोंडीलायटिस में भी यह अच्छा काम करती है.
इसकी १-१ गोली सुबह शाम नाश्ते या भोजन के बाद पानीसे ले. इसे शहद से या दूध से भी ले सकते है. गोली को दात से तोड़े फिर निगले या पहले ही तोड़कर फिर निगले.

४. सितोपलादी चूर्ण

यह खासी की एक जबरदस्त दवा है. सूखी खासी पर इसे जादू की तरह काम करते हुए देखा गया है. एक चौथाई चम्मच चूर्ण शहद के साथ एक दिन में ३-४ बार ले सकते है.

५. हरिद्रा खंड

यह खुजली की एक जबरदस्त दवा है. शीत पित्त में भी इसे किसी जादू की तरह काम करते हुए देखा है. इसे आधा चम्मच रोजाना पानीसे तीन बार ले सकते है.

क्या होम्योपैथी दवा के साथ दूसरी दवा ली जा सकती है. (Whether it is permissible to take homeopathic remedies alongwith other medication?

जैसे हम पहले देख चुके है की होम्यो पैथी दवा एक मार्गदर्शक का काम करती है.

एलोपैथी दवा शरीर की क्रियाओ को सीधे प्रभावित करती है. प्रयोगशाला में इसी आधार पर उसका संशोधन होता है की वह शरीर में जा कर क्या करेगी. संशोधन के बाद में दवा का प्रयोग पहले प्राणियों और बाद में इंसानों पर किया जाता है.

आयुर्वेदिक दवा शरीर में जो व्यवस्थाये होती है उन्हें मजबूती प्रदान करती है.

उपरोक्त आधार पर यह कहा जा सकता है की होम्योपैथी दवा दूसरी पैथियो की दवा के साथ साथ प्रयुक्त हो सकती है. लेखक का यह मत है की उसे स्टेरोइड के साथ प्रयोग नहीं करना चाहिए.

Sunday 28 August 2011

बेर्बेरिस वलगारिस (Berberis Vulgaris)

यह दवा असहनीय दर्द की अच्छी दवा मानी जाती है. यह गुर्दों पर विशेष प्रभाव रखती है. इसे गुर्दों की पथरी में काफी प्रयुक्त किया जाता है.
पित्ताशय की पथरी में भी इसका प्रयोग होता है क्यों की यहाँ भी असहनीय दर्द होता है.

Saturday 27 August 2011

मायज़म सिद्धांत (The theory of Miasm)

मायज़म का सिद्धांत हनीमन ने उसकी पुस्तिका जीर्ण रोग में रखा. हनी मन ने कहा की यह सिद्धांत उसकी १२ साल की कड़ी मेहनत का नतीजा है.

उसने कहा की यही मायझम हर जीर्ण रोग की जड़ है. केंट ने इस सिद्धांत को बड़े पैमाने पर प्रस्थापित किया. उसने ऐसी दवा भी बतलाई जो इस प्रकार के मायज़म में आराम देगी.

मायज़म का मतलब है एक बदल जो स्वास्थ्य पर छा जाता है. उसने कहा की ८५ % यह आवरण सोरा के रूप में होता है. १५ % यह सिफिलिस या सायकोसिस का रूप लेता है.

सोरा - इस ग्रीक शब्द का अर्थ है कलंक. हनीमन का यह मानना था की त्वचा की बीमारी में, एलर्जी में, बवासीर में सोरा का आवरण छाया रहता है. सोरा आवरण का प्रमुख लक्षण है खुजली होना.
इसकी प्रमुख दवा है. सल्फर, नैटरम मर, कैल्क कार्ब, अर्सेनिकम ऐल्बम, फोस्फोरस इत्यादि.

सायकोसिस  - यह आवरण यौन रोगों में, मूत्र विकारो में, जोड़ो के दर्द में और बलगम के रिसाव में पाया जाता है. मस्सा भी इसका प्रतीक माना जाता है. इस आवरण में तकलीफ वातावरण की नमी से बढ़ जाती है. सास की तकलीफ, नजला, पेशाब में जलन यह पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से इस आवरण को दर्शाते है. इसकी प्रमुख औषधि है थूजा, लेकोपोडियम, नैटरम सल्फ़, कासटीकम इत्यादि.

सिफिलिस - इस आवरण से वात विकार होते है, रक्त के और हड्डी के विकार होते है. तरह तरह के मन के विकार भी हो सकते है. जैसे दारू के अधीन हो जाना, खुदखुशी करने की प्रवृत्ति रखना, पागलपन, फोड़े बनना. ह्रदय रोग और रात को बढ़ने वाले रोग भी इस आवरण के कारण हो सकते है. इसके मुख्य दवाइयां है - आर्सेनिक एल्ब, औरम मेट, मेरकुरी, फोस्फोरुस.



हमें यह लगता है की बहोत ज्यादा इस सिद्धांत में उलझने से यह बेहतर है की समग्र लक्षणों के आधार पर दवा का चयन करे. होम्योपैथी की हर प्रमुख दवा में अनेक आवरणों को हटाने की क्षमता है.

Thursday 25 August 2011

एकोनाईट (Aconite)

यह दवा जब झटका लगता है तो प्रयुक्त होती है. जैसे अचानक कुछ हो जाता है और व्यक्ति घबरा जाता है तो यह दवा प्रयुक्त होती है.
यदि कोई व्यक्ति अत्यंत ठंडी के कारण अस्वस्थ हो जाता है तो भी इसका प्रयोग कर सकते है.
अत्यंत गर्मी के कारण जब पेट पर असर होता है तो भी यह दवा प्रयुक्त हो सकती है.
बहोत से लोग इसे बुखार में अक्सर प्रयोग करते है पर इस तरह इसका प्रयोग करना उसके संकेतो के आधार पर उचित नहीं प्रतीत होता.

Wednesday 24 August 2011

स्टेफीसैग्रिया (Staphysagria)

यह व्यक्ति अपमान और दर्द की आग में जलता है.
यह असहनीय दर्द से भी परेशान हो सकता है.
नव वधु को जब पेशाब करने में दिक्क़त आती है तो यह दवा कारगर सिद्ध होती है.
मूत्र से सम्बंधित कठिनाइयों पर यह काम करती है.
हस्त मैथुन की आदत में भी इसे काम करते हुए देखा गया है.

Tuesday 23 August 2011

नैट्रिक एसिड (Nitric Acid)

यह एक गुस्से बाज आदमी है. जब व्यक्ति को काटे चुभने जैसा दर्द हो तो इसे याद करे.
सेरोउस मेम्ब्रेन का जहा त्वचा से स्पर्श होता है वहा के विकारो के लिए इसे एक प्रमुख दवा माना जाता है.
एनस अर्थात गुदा के फिशर में याने क्रैक होने में यह काम कर सकती है.
मुह के फोड़ो में भी यह दवा काम कर सकती है.
गले के विकारो में भी यह काम करती है.
स्त्री को सफ़ेद पानी की शिकायत हो सकती है.
इस दवा को एक प्रमुख एंटी सायकोटिक दवा के रूप में देखा जाता है.

लैकेसिस (Lachesis)

इस दवा का प्रयोग एक विशिष्ट संकेत के आधार पर किया जाता है. जब व्यक्ति को स्राव होने के पश्चात् राहत मिलती है तो उस व्यक्ति के लिए यह दवा काम करेगी.
रजोनिवृत्ति के समय स्त्री का राजोस्राव रुक जाने से वह अस्वस्थ हो जाती है. इसलिए रजोनिवृत्ति की प्रमुख दवाओ में लैकेसिस की गणना होती है.
इस का दूसरा मुख्य संकेत यह है की व्यक्ति नींद में जाते समय और नींद खुलते समय बदतर हो जाता है.
इसलिए इस दवा को स्लीप ऐप्नीया में भी प्रयुक्त करते है.
इस व्यक्ति की काम वासना तीव्र हो सकती है. यह संशय करने वाला हो सकता है.
यह दवा सर्प विष पर आधारित होने के कारण टेटोपैथी के आधार पर इसको सर्प दंश में भी प्रयुक्त करते है.
इसे पैखाना सख्त हो सकता है. बवासीर की तकलीफ हो सकती है.
इसे ठंडा मौसम अच्छा लगता है.
इसकी त्वचा सुखी हो सकती है और त्वचा के रोग हो सकते है.
इस दवा को तब ज्यादा प्रयोग करते है जब त्वचा रोग के कारण या फोड़े के कारण त्वचा का रंग नीला या पर्पल हो जाता है.
यह व्यक्ति गले की तकलीफ से पीड़ित हो सकता है.

Saturday 20 August 2011

बायो केमीक दवाइया ( Bio Chemic Medicines).

जैसे की हमने देखा की होमिओपैथी में दवा को समग्र लक्षणों के आधार पर ढूंढा जाता है. यह प्रक्रिया कही कभी जटिल हो जाती है. डा. शुज्लर ने बायो केमीक दवाओ को पेश किया. इन्हें टिशु साल्ट भी कहते है. यह बारा क्षार हर टिशु में पाए जाते है. इनको निचली पोटेंसी जैसे ३ एक्स, ६ एक्स, १२ एक्स में प्रयोग किया जाता है. इनका प्रयोग २-३ दवा को एक साथ लेकर भी करते है. होमिओ पैथी में समग्रता के आधार पर केवल एक ही दवा दी जाती है. दवाओ में जो सम्बन्ध होते है उन्हें ध्यान में रखकर एक के बाद दूसरी दवा दे सकती है. कभी कभी यह प्रक्रिया जटिल होने से इस सरल पद्धति का विकास किया गया. लेकिन यह पद्धति होमिओपैथी जितनी कारगर नहीं है और थोड़ी खर्चीली भी है. आप को गोली दूकान से खरीदनी पड़ती है. आप लिक्विड खरीदकर उससे घर में गोली नहीं बना सकते.

काली मुर
कब्ज, नजला, बुखार

नैटरम सल्फ़
डायरिया, नजला, बुखार, एसिडिटी
व्यक्ति गरम वातावरण पसंद करता है तो काम करने की संभावना अधिक है.

नैटरम   फोस
डायरिया, एसिडिटी

कैल्क फ्लुओरइका  
दात दर्द, हड्डी की कमजोरी

फेरम  फोस
बुखार, खून की कमी, थकावट
   
कैल्क  सलफ
फोड़े, पीब का बनना

काली सल्फ़
पिम्पल्स, चर्म विकार

मैग फोस
तेजी से उठने वाला ऐसा दर्द जिसमे जिस अंग में दर्द हो रहा है उसे जोर से दबाने पर आराम होता है.

काली फोस
निराशा, तनाव, अत्यधिक मानसिक श्रम 

कैल्क फोस
हड्डी की कमजोरी. हड्डी में फोड़ा बनना. दात की कमजोरी.

नैटरम मुर
अत्याधिक गर्मी होना, चर्म रोग, पसीना आना, कब्ज होना.

सिलिशिया
हड्डी की कमजोरी, फोड़ा, मसुडो की समस्याए.


 

नैटरम मर (Natrum Mur)

जब व्यक्ति दीर्घ काल से दुःख के बोझ तले दबा हुआ होता है.

यह व्यक्ति कलात्मक हो सकता है. यह दुसरे के दर्द का अहसास रखने वाला हो सकता है. जब यह दर्द में होता है तो दुसरे से सहानुभूति नहीं चाहता.

यह नमक का जयादा प्रयोग करने वाला हो सकता है. इसे खाना खाते समय बहोत पसीना आने की संभावना है.

जो बुखार पलट पलट कर आता है उसमे यह दवा काम कर सकती है.

गर्मी की अति से जो दुष्परिणाम होते है उनमे भी यह प्रयुक्त होती है.

स्त्री को रक्त प्रदर में अधिक स्राव होने की संभावना है.

तेल वाली त्वचा पर यह दवा काम करने की सम्भावना है. सुखी खुजली में यह काम कर सकती है.

क्रिओसोटम (Kreosotum)

यह दवा प्रयुक्त होती है जब स्राव जलन पैदा करने वाला होता है. जैसे रक्त प्रदर का स्राव या श्वेत प्रदर का स्राव जो जलन पैदा करता है.
स्त्री के योनी में होने वाली खुजली भी इस दवा का लक्षण है.
बच्चो के दात सड़ना, काले होना इसमें भी यह दवा काम करने की संभावना रखती है.

सिमफायटम (Symphytum)

यह हड्डी जोड़ दवा है. जब हड्डी टूटने के बाद में उसे प्लास्टर में बाँध दिया जाता है तो इस दवा के सेवन से हड्डी जुड़ने की क्रिया जल्दी होती है.

हड्डी पर हुए घाव से जब आस पास सुजन आ जाती है तब भी यह प्रयुक्त होती है.

मायरिसटिका (Myristica)

यह पीब को बहार निकलने की एक जबरदस्त दवा है. जब फोड़े को पकाकर फोड़ने की बात होती है तो इसे सिलीशिया और हेपर सल्फ़ से जयादा प्रभावकार माना जाता है.

यह फिस्टुला (भगंदर) में प्रयुक्त होती है. आप समझ गए होंगे की जहा पीब है वहा यह काम कर सकती है.

रहस टॉक्स (Rhus Tox)

यह व्यक्ति जब एक जगह स्थिर होता है तो उसके बदन में और जोड़ो में दर्द बढ़ जाता है. सुबह उठने के बाद वह अकड़ जाता है. बैठने से भी अकड़ जाता है.

व्यक्ति को जब चोट लगती है तो उसमे अकड़न अक्सर आती है इसलिए इस दवा को चोट के बाद प्रयुक्त किया जाता है.

सर्दी खासी और गले में खराश भी यहाँ संभव है.

यह व्यक्ति बारिश के दिनों में या ठण्ड के दिनों में बदतर हो जाता है.

त्वचा में खुजली हो सकती है.

ब्रायोनिया (Bryonia)

इस दवा को तब इस्तेमाल करे जब व्यक्ति हलचल से शरीर में और जोड़ो में दर्द महसूस करे.
वह एकदम स्थिर रहना चाहता है. थोड़ी हलचल से भी उसके दर्द में बढौतरी होती है.
वह काम को जाता तो है नहीं पर काम की बाते बहोत करता है.
यह व्यक्ति चिडचिडा हो सकता है.
उसे गले में तकलीफ हो सकती है. मुह सुखा हुआ हो सकता है. वह गले से बलगम निकलना तो बहुत चाहता है पर निकलता बहोत कम है.
उसे सरदर्द हो सकता है. चक्कर आ सकते है.
वह ठंडी और खुली हवा पसंद करता है. गर्मी से उसकी परेशानी बढती है.
उसे सास की तकलीफ हो सकती है. चलने फिरने से या रात के वक़्त बढ़ सकती है.

लेडम पाल (Ledum Pal)

यह दवा याद करे जब किसी नोक वाली चीज से घाव होकर वहा सुजन आ जाती है.

वात विकारो में जहा सुजन होती है और कीड़ा काटने जैसा दर्द होता है तो यह दवा उपयुक्त सिद्ध हो सकती है.

एपीस (Apis).

यह व्यक्ति मधु मक्खी काटने जैसी पीड़ा का अनुभव करता है.

इसे प्यास कम लगती है और उसे ठंडा पानी पिने की इच्छा होती है.

वह ठंडी और खुला हवा पसंद करता है और बंद कमरे में घुटन महसूस करता है.

यह व्यक्ति अत्यंत कामासक्त हो सकता है.

त्वचा के रोगों में जब मुधू मक्खी काटने जैसा अनुभव   होता है और ठंडक से राहत होती है तो इस दवा को याद करे.

स्त्री के स्तन पर इस दवा का अच्छा प्रभाव देखा गया है. यदि उसे स्तन में दर्द होता है या गाठे होती है.

कोनियम (Conium)

यह व्यक्ति कमजोरी महसूस करता है.
यह दवा तब कारगर सिद्ध होती है जब आदमी को जबरन यौन संबंधो से विमुख रहने के कारण अनेक व्याधिया होती है.

इस दवा का असर स्त्री के वक्ष स्थलों पर देखा गया है. वक्ष स्थल के कैंसर पर भी इसको काम करते हुए देखा गया है.

इस दवा का विशेष लक्षण यह मान सकते है कैल्क कार्ब की तुलना में की इसमें स्त्री को प्रदर में खून कम जाता है.

शरीर के हिस्सों में झुन झुनी भी हो सकती है. धीरे धीरे यदि लकवा उभरता है तो इस दवा को याद करे.

पुरुषो में मर्दानगी की कमी देखी जा सकती है.

अर्सेनिकम आल्बम (Arsenicum Album)

यह अस्वस्थता की दवा है.  बेचैनी की दवा है. पेशंट को जब अत्याधिक चिंता सताती है तो इसे न भूले. कैंसर का या अन्य किसी जटिल रोग का रोगी अपने अंतिम दिनों में जब अत्याधिक पीड़ा झेलता है तो ऊँची पोटेंसी में प्रयुक्त होने से यह दवा आराम दिलाती है.

इस व्यक्ति को ठण्ड अधिक लगती है और वह ओढ़े रहना पसंद करता है.

गलत आहार से जब फ़ूड पोइसनिंग  होता है तो यह दवा काम करती है. वैसे इस व्यक्ति को लूज मोशन हो सकता है. ऐसा भी हो सकता है की पैखाना ठीक से न हो और बकरी की तरह थोडा थोडा हो.

इस दवा की सबसे बड़ी विशेषता यह है की इसमें आदमी शरीर के विभिन्न हिस्सों में जलन महसूस करता है और खुद को गरम बनाये रखने से ही राहत महसूस करता है. यह विरोधाभास है लेकिन यही पेशंट के साथ होता है. यदि इस प्रकार का पेशंट आपके सामने है तो बड़ी संभावना है की यह दवा काम करेगी.

चर्म रोगों पर यह अच्छा असर दिखाती है.

स्त्री को प्रदर में भारी स्राव हो सकता है.

व्यक्ति को रात में नींद न आने की शिकायत हो सकती है.

व्यक्ति कमजोरी महसूस करता है और काम करने के बाद बेहद थक जाता है.

एंटीमोनियम क्रड (Antimonium Crud)

यह भी मस्से की अग्रणी दवा में से एक है.

कब्ज की तकलीफ हो सकती है. एसिडिटी की भी तकलीफ हो सकती है.


 सर के ऊपर से नहाने से सरदर्द होना इसका एक विशेष लक्षण है.

यह व्यक्ति गुस्सेबाज हो सकता है. छोटी छोटी बातो पर चिड सकता है.

कब्ज और डायरिया उसे अलट पलट कर हो सकता है.

इस दवा का एक मुख्य लक्षण है की पेशंट की जीभ सफ़ेद होती है.

खट्टा खाने की प्रवृत्ति इसमें होती है.

Friday 19 August 2011

थूजा (Thuja)

यह मस्सो की एक अग्रणी दवा है. यह व्यक्ति ठन्डे और नमी भरे मौसम में बदतर हो जाता है.

इसे सरदर्द की तकलीफ हो सकती है. यह व्यक्ति निराश हो सकता है.

पेट में कब्ज की तकलीफ हो सकती है.

स्त्री को माहवारी में कम स्राव हो सकता है. सफ़ेद पानी की तकलीफ हो सकती है.


कार्बो व्हेज (Carbo Veg).

इसे तब याद करे जब व्यक्ति लम्बे समय से बीमार चल रहा है. जब उसकी पाचन व्यवस्था नाजुक हो जाती है.

उसे पतले दस्त होते है. या पेट ठीक से साफ़ नहीं होता. उसके पेट में गैस बहोत बनती है और वह ऊपर की तरफ आती है. इन परिस्थितियों में सास के फूलने से इस दवा को याद करे. हिचकी आना या डकार आना भी इसका लक्षण हो सकता है.

स्त्री के तलवे यदि प्रदर काल में गरम हो जाते है तो यह इसका एक अजीब लक्षण है.

काली कार्ब (Kali Karb)

इस व्यक्ति को हर चीज जहा की तहा चाहिए. चीजे इधर उधर हुई की इसका मिजाज बिगड़ा.

बच्चे को जन्म देने के बाद माता को जो चिडचिडापन और अन्य समस्या होती है उसमे इस दवा को याद करे.

इस व्यक्ति को पैखाना सख्त होता है. बवासीर की परेशानी हो सकती है.

औरत को जो बार बार पेशाब जाना पड़ता है रात में, प्रसूति के बाद, तो इस परिस्थिति में यह दवा काम कर सकती है.

कमर की हड्डी के दर्द में इसे याद करे.

इस व्यक्ति को सास की तकलीफ हो सकती है.

सेपिया (Sepia).

यह दवा उन लोगो की है जो अपने ही लोगो पर गुस्सा तान कर रहते है या रूठ जाते है. ऐसे लोगो से जिनसे प्रेम करना चाहिए और मधुर सम्बन्ध रखना चाहिए. ख़ास कर यदि पति या पत्नी अपने जीवन साथी को देखना भी पसंद नहीं करते है तो इस दवा को याद करे.

सम्भोग के तुरंत बाद यदि स्त्री या पुरुष बदतर हो जाते है तो इसे याद करे. हा और दावैया भी है. इस पैथी में हमेशा ध्यान रखे की तौलनिक अभ्यास और समग्रता को भुलाकर आप सही दवा चुन नहीं सकते है.

महिला को माहवारी में रक्त कम जा सकता है. माहवारी अनियमित हो सकती है. प्रदर के खून में गाठे हो सकती है.

इस व्यक्ति को कब्ज रहती है. पैखाना सख्त होता है. बवासीर की शिकायत भी हो सकती है. यह व्यक्ति एसिडिटी से भी ग्रसित हो सकता है.

रात्रि को नींद ठीक न आने की भी संभावना है.

इसे गरम मौसम अच्छा लग सकता है. पर ठन्डे पानी से नहाना यह पसंद कर सकता है.

फोस्फोरिक एसिड (Phosphric Acid).

इस का प्रयोग होता है थकान में. जब आदमी थक जाता है किसी दुखद घटना के होने के बाद.

इस व्यक्ति को डायरिया हो सकता है. संभव है ऐसा डायरिया की उसके बाद आदमी थके या न थके.

उसे रस पिने में आनंद आता है.

जल्दी बाल सफ़ेद होना भी इसका लक्षण है.

स्त्री को लम्बा प्रदर होना संभव है.

अत्यधिक भोग में लिप्त होने से पुरुषो में जो थकान आती है उसमी भी यह प्रयुक्त हो सकता है.

हेपर सल्फ़ (Hepar Sulph)

यह दवा सिलिशिया से काफी मेल खाती है.

यह व्यक्ति बहोत ही गुस्सेबाज है और बर्दाश्त करना इसका स्वभाव नहीं है.

इस व्यक्ति के फोड़े से बदबूदार पीब निकल सकता है.

छोटी पोटेंसी में यह दवा पीब निकलने का काम करती है तो बड़ी पोटेंसी में घाव सुखाने का काम करती है.

यह व्यक्ति ठण्ड नहीं बर्दाश्त करता और कफ से भर जाता है.

इसके कान से पतला मवाद निकल सकता है.

सिलीशिया (Silicea)

सिलीशिया  को याद करते है फोड़ो में. पसीने का अत्यधिक आना भी इसकी याद दिलाता है.
हड्डी, दात और मसुडो पर भी इसका बड़ा असर देखा गया है.

यह व्यक्ति सहमा सहमा सा हो सकता है. लेकिन एक अवस्था में यह बहोत जिद्दी हो सकता है. ऐसा भी हो सकता है की विपरीत शारीरिक परिस्थिति में यह परिश्रम करने की शक्ति रखता है.

शरीर की लघुता इस में पायी जा सकती है. यह छोटे कदवाला और दुबला पतला हो सकता है.

इसके पैर में दरारे हो सकती है. ऐसी दरार जो पानी से बढ़ जाती है. वैसे भी इस व्यक्ति की तकलीफ पानी से और ठंडी से बढ़ सकती है.

इस व्यक्ति के मुह में फोड़े हो सकते है. बदन पर भी फोड़े हो सकते है.

इसे कब्ज की शिकायत हो सकती है. पैखाना बड़ी मुश्किल से बाहर आता है. बाहर  आने के बाद फिर अन्दर खिसक जाता है.

इस व्यक्ति को पेशाब में जलन हो सकती है.

बच्चे को पढाई के बाद जो सिरदर्द होता है उसे सिलीशिया ठीक कर सकता है.

भगंदर याने फिस्टुला की यह एक बड़ी औषधि है.

स्त्री को रक्त प्रदर अधिक मात्र में हो सकता है. श्वेत प्रदर की शिकायत भी हो सकती है.

नजला में यह दवा काम कर सकती है.

Thursday 18 August 2011

फोस्फोरस (Phosphorus)

यह व्यक्ति जब अपनी सकारात्मक अवस्था में होता है तो कोमल ह्रदय वाला, प्रेम भाव से परिपूर्ण ऐसा होता है. यह दिखने में खुबसूरत और अदाओ में मोहक होता है.

जब वह अपनी नकारात्मक अवस्था में जाता है तो चिडचिडा हो जाता है. यह भी संभव है की वह बहोत कामुक हो जाए.

लक्षणों की चंचलता यहाँ देखी जा सकती है. ऐसा भी संभव है की इस व्यक्ति का शारीरिक विकास अपनी उम्र के हिसाब से अधिक होने से उसमे कमजोरी होती है. इस व्यक्ति के फेफड़े कमजोर हो सकते है. और उसे टी.बी. का इतिहास होने का भी अंदेशा है.

दात के दर्द पर यह काम करती है.  डेंटिस्ट के यहाँ दात निकालने के बाद यदि रक्त प्रवाह रुकता नहीं है तो यह दवा प्रयुक्त होती है.

औरतो में यदि बूंद बूंद प्रदर लम्बे काल तक होता है तो यह दवा काम कर सकती है.

मर्दों में संभव है की कामुकता बढ़ने से मर्दानगी में कमी आ जाये.

ऐसी संभावना है की इस व्यक्ति को बिस्तर पर लेटने के बाद काफी समय तक नींद नहीं आये.

यह व्यक्ति खुली हवा और ठंडक पसंद करता है. पानी कम पिता है. आइस क्रीम खाना पसंद करता है.

इस व्यक्ति को रात में डर लग सकता है.

भूख के कमी और पीलिया पर भी इसका प्रभाव है.

नक्स वोमिका (nux vomica)

यह आधुनिक युग की जीवन प्रणाली में बहोत काम आने वाली दवा है. आदमी जब तेज रफ़्तार की जिंदगी में पद और पैसे के पीछे भागता है तो उसे व्यायाम करने का समय नहीं होता, घर के बाहर खाना पड़ता है. उसका ध्यान वरिष्टो ने जो टार्गेट दिए है उसे पूर्ण करनी की ओर होता है. उसके हात लगता है चिडचिडापन, भाग दौड़, बैठे बैठे काम और निराशा.

यह व्यक्ति गुस्सेबाज होता है और उठक पठक करने की ओर उसकी प्रवृत्ति हो सकती है. उसके स्वभाव में मृदुता नहीं होती है. अत्यधिक निराशा के कारण वह आत्महत्या के लिए भी प्रवृत्त हो सकता है.

पैखाने के लिए जाना लेकिन पैखाना करने में असमर्थ होना इसका मुख्य लक्षण है. अर्थात ऐसा लगता तो है की पैखाना होगा लेकिन होता नहीं है. यही बात पेशाब के साथ भी हो सकती है.

इस व्यक्ति की भूख कम हो सकती है या ख़त्म हो सकती है. उसे कब्ज और डायरिया अलट पलट कर हो सकता है.

उसी प्रकार जब कोई आदमी अंग्रेजी दावा खाता है और उसके भयंकर साइड एफ्फेक्ट्स में झुलसता है तब भी यह दवा राहत देती है.

यह सर दर्द जैसे की माइग्रेन सर दर्द पर अच्छा असर दिखाती है. दिन के समय देखने में तकलीफ होना भी इसका एक लक्षण है.

स्त्री को माहवारी के वक़्त यदि बार बार पैखाना जाने की इच्छा होती है पर कुछ होता नहीं है तो उस दौरान उसे जो दूसरी शिकायत होती है उसपर भी दवा काम करेगी.

यह बवासीर की मानी हुई दवाइयों में से एक है.

यह दवा लेते वक़्त पेशंट काफी न पिए. काफी इसका असर ख़त्म करती है.

सलफर (Sulphur)

एक जबरदस्त दवा जिसे खुजली हो तो सभी याद करते है. शरीर के भीतर की उथल पुथल को बाहर की ओर फेकती है. जब दूसरी दवा विचार युक्त होने के बावजूद भी काम नहीं करती है तो शरीर की प्रतिक्रियात्मक शक्ति को जगाने के लिए सल्फर का प्रयोग किया जाता है.

लाल लाल खुजली. इतनी खुजली की खुजलाते रहे, खुजलाते रहे. ओर बाद में और तकलीफ. त्वचा की जलन, शरीर की जलन.

यह व्यक्ति बड़ी ही गहन बाते करता है. बड़ी ही तत्व की बाते. ऐसा तत्व जो बाकी लोग बड़ी मुश्किल से समझ पाते है. कहता है मैला कुचला कपडा बहोत अच्छा है. बाकी लोग देख कर हैरान है. कुछ दशाओ में आदमी लम्पट भी हो सकता है. बेहिसाब लम्पट.

कब्जियत की शिकायत हो सकती है. या एक दूसरी परिस्थिति भी संभव है. सुबह उठकर जोर से भागना पड़ता है पैखाने के लिए. सीट पर पहोचते ही धप धप कर के गिरता है.

पेशाब में जलन हो सकती है. जांघ में खुजली हो सकती है.

स्त्री को मासिक स्राव में जलन हो सकती है. सफ़ेद पानी से जलन हो सकती है. जब स्त्री रजो निवृत्ति की अवस्था में होती है तो इस दवा को याद करे. अन्यथा भी स्त्री को रक्त का बहाव माहवारी में कम होता है.

बहोत अधिक पसीना आ सकता है.

यह दवा हनिमन की तीन दवा की तिकड़ी का एक महत्त्वपूर्ण भाग है. उस तिकड़ी की अन्य दो दवाइया है कैल्क. कार्ब. और लायको.
इन दवाइयों का क्रम सलफर, कैल्क, लायको, सलफर ऐसा ही होना चाहिए. अर्थात आप सलफर के बाद लायको न दे और कैल्क के बाद सलफर न दे.

यह दवा नक्स वोमिका के आगे पीछे भी बढ़िया काम करती है.

यह व्यक्ति बहोत नहाना धोना पसंद नहीं करता. इसे सर्दी खासी की तकलीफ हो सकती है. खुजली को ठंडक से राहत पहुचती है. वैसे ये ओढ़ कर सोना पसंद नहीं करता. लेकिन बहोत ठंडी भी पसंद नहीं करता है. बारिश के दिनों में त्वचा की परेशानी बढ़ सकती है.

लायकोपोडियम (Lycopodium)

यह व्यक्ति घबराया हुआ है. यह चलाख है दाव पेच जानता है. दुबला हो सकता है. पेट की हालत से परेशान है. पेट में गैस बनता है.
किडनी स्टोन की तकलीफ में इस दवा ने बहोत नाम कमाया है.
यह व्यक्ति यदि स्त्री है तो उसे माहवारी में अनियमितता हो सकती है. उसे प्रदर में खून कम जा सकता है या बहोत ज्यादा रक्त बह सकता है.
स्त्रियों की दाहिनी अंडकोष की पथरी में भी यह दवा काम करने की संभावना रखती है.
यह पलसाटिला की सहयोगी दवा है. उसके आगे या पीछे अच्छा काम करती है.
यह शरीर की दाहिनी ओर होने वाली गड़बड़ी की दवा है.
त्वचा के ऊपर भी इसका असर दिखता है. शीत पित्त पर यह असर करती है.
कब्ज की बड़ी दवा है. कब्ज और डायरिया अलट पलट कर आने की तकलीफ भी हो सकती है. पेट में गैस बनती है ओर निचे की ओर से छूटती है. व्यक्ति को डकार और हिचकी आ सकती है.
यह व्यक्ति पानी कम पिता है. ठंडा पानी पीना पसंद नहीं करता. भोजन भी गरम चाहता है.
भूख का कम होना पाया जाता है. कभी कभी बहोत ज्यादा भूख भी देखी जा सकती है. एसिडिटी की तकलीफ देखी जाती है.
रात को बारा बजे के बाद वह राहत महसूस कर सकता है. वह डरावने सपने देखता है और रात को डरता है.
पेशाब बार बार होती है. पेशाब पर से नियंत्रण खो सकता है.
गठिया वात से पीड़ित हो सकता है व्यक्ति.
उसे चक्कर आ सकते है. सरदर्द हो सकता है.

Wednesday 17 August 2011

कैलकेरिया कार्ब (Calcarea Carb)

यह व्यक्ति मोटा होता है. हलचल करने में सुस्त होता है. कमजोर हड्डीवाला होता है.या ऐसे भी हो सकता है की उसका पोषण किसी कारण से हो न रहा हो. वह बहोत कमजोरी महसूस कर सकता है. उसकी ग्रंथियों में सुजन हो सकती है.

इस व्यक्ति को चिंता सताती है. वह घुटन महसूस करता है. चिडचिडापन होता है.

यदि यह व्यक्ति महिला है तो उसे प्रदर बहोत लम्बा आ सकता है. उसके प्रदर में बहोत खून जाने की संभावना भी होती है. उसे श्वेत प्रदर की तकलीफ भी हो सकती है.

यदि यह व्यक्ति पुरुष है तो उसमे वासना अधिक और उसे पूर्ण करने की शक्ति का अभाव हो सकता है.

उसे गरम मौसम अच्छा लगता है. ठंडी से या बारिश के मौसम में उसे तकलीफ होती है.

वह पानी काफी पिता है. ठंडा पानी पसंद करता है.

उसे कब्ज की शिकायत होती है. पैखाना सख्त और बड़ा होता है. बवासीर की तकलीफ भी हो सकती है. उसे डायरिया हो सकता है.

सीधी चढ़ने से उसकी सास फूलती है. उसे सास की तकलीफ हो सकती है.

उसकी सर्दी से नाक बह सकती है या बंद हो सकती है.

उसे जोर से खासी आती है और खस्ते वक़्त उसके छाती में दर्द होता है.

उसकी टोंसिल्स में सुजन हो सकती है.

उसे रात में नींद की तकलीफ सता सकती है. वह डरावने सपने देख सकता है.

पल्साटिला (Pulsatilla)

यह व्यक्ति एक मृदु स्वभाव का व्यक्ति है. वह तेज तर्रार या खूंखार नहीं है. हा उसका स्वभाव बदलता जरुर रहता है.  ऐसा स्वभाव या तो छोटे बच्चे का होता है या तो अपने घर के लोगो से प्रेम भाव रखने वाले गृहिणी का. बात की सूक्ष्मता को समझे, ऐसा नहीं है की कोमल स्वभाव के आदमी को गुस्सा नहीं आएगा. उसे गुस्सा आता है पर उसमे भी अपनी कोमलता और चंचलता बनाये रखता है.

यह व्यक्ति यदि स्त्री है तो उसे सामान्यतः माहवारी अनियमित रूप से आती है या प्रदर में रक्त कम जाता है या प्रदर कम दिन रहता है.

इस महिला को श्वेत प्रदर की तकलीफ भी हो सकती है.

इस व्यक्ति को कब्ज नहीं रहती है. ऐसा भी हो सकता है की हरबार उसे पैखाना अलग किस्म का हो.

हा इसे एसीडिटी  की शिकायत हो सकती है.

इस व्यक्ति को प्यास कम होती है. वह पानी कम पिता है. उसके होठ सूखे हुए हो सकते है. वह ठंडा पानी पसंद करता है.

इस व्यक्ति को ठंडी हवा और मौसम भाता है. वह गर्मी के कारण घुटन महसूस करता है.

उसकी तकलीफ एक जगह बैठने से बढती है. यदि यह व्यक्ति अपनी टाँगे निचे लटकाकर बैठता है तो अस्वस्थ हो जाता है.

उसे हरदम ऐसा लगता है की वह कुछ ताकद देने वाली चीजे खाए. वह तेल से बनी हुई चीजे पचाने में कमजोर है और टोनिक यदि लेता है तो खुद के लिए दिक्क़त पैदा करता है.

उसे सर्दी की शिकायत हो सकती है. उसकी नाक टपक सकती है या बंद हो सकती है. सास लेने में भी दिक्कत हो सकती है.

होमिओपैथी की मुख्य दवाइया. (Main remedies in homeopathy.)

हम अपना ध्यान होमिओपैथी की प्रमुख दवाओ पर केन्द्रित करे. होमिओपैथी में सैकड़ो दवा है. सैकड़ो दवाओ में उलझने से बेहतर है की कुछ दवाओ की गहन जानकारी कर ले.

1. Pulsatilla
2. Calcarea Carb
3. Lycopodium
4. Sulphur
5. Nux Vomica
6. Phosphorus
7. Silicea
8. Hepar Sulph
9. Phosphoric Acid
10. Sepia
11. Kali Carb
12. Carbo Veg
13. Thuja
14. Antimonium Crud
15. Arsenicum Album
16. Conium
17. Apis
18. Ledum Pal
19. Bryonia
20. Rhus Tox
21. Myristica
22. Symphytum
23. Kreosotum
24. Natrum Mur
25. Lachesis
26. Nitric Acid
27. Staphysagria
28. Aconite
29. Berberis Vulgaris
30. Senega
31. Chamomilla
32. Cina
33. Argentum Nit
34. Causticum
35. Gelsemium

Tissue salt remedies
1. Kali Mur
2. Natrum Sulph
3. Natrum Phos
4. Calc Fluorica
5. Ferrum Phos
6. Calc Sulphurica
7. Kali Sulph
8. Mag Phos
9. Kali Phos
10. Calc Phos
11. Silicea
12. Natrum Mur

नाम मात्र शुल्क पर होमिओ क्लिनिक कैसे चलाये. (What infrastructure is needed to operate a nominal fee clinic.)

साहब, यहाँ मै जो बात कह रहा हु वह डॉक्टर लोगो के प्रति दुर्भावना रख कर नहीं. डॉक्टर तो पूज्य है और वो बेहतरीन काम कर रहे है.

भारत के विशाल रूप को देखते हुए हम यह कोशिश कर रहे है की दूर दराज के इलाको में झोपड़ पट्टीयो में, शहर से दूर छोटे छोटे गावो में हम " आरोग्य सेवा केंद्र" खोले. ऐसे हर एक केंद्र पर प्रमुख दवाइया ३० ग्राम उपलब्ध होगी. ये दवा १ महीने के लिए पर्याप्त है. बाद में इसका रिफिलिंग किया जाएगा. दवा का यह बक्सा हजार रूपये से ज्यादा लागत में नहीं बनेगा.
इस सेवा केंद्र में एक व्यक्ति ऐसा बैठेगा जो पेशंट से जानकारी लेना जानता है.  उस जानकारी के आधार पर वह या तो खुद दवा देगा या वह एक कॉल सेंटर को कॉल करेगा. कॉल सेण्टर में अनुभवी डॉक्टर होंगे. जो दवा का नाम लक्षणों के आधार पर बताएँगे.
आप इस सेवा यज्ञ में निम्न लिखित रूप में जुड़ सकते है.
१. सेवा केंद्र का जानकारी लेने वाला स्वयंसेवक बनकर.
२. सेवा केंद्र अपने घर में या किसी पूजा स्थल में कार्यान्वित करने के पालक या रक्षक बनकर.
३. यदि आप डॉक्टर है तो आप अपने फ़ोन पर कॉल सेण्टर की सेवा एक स्वयंसेवक के रूप में दे सकते है.

आइये ले जाए होमिओपैथी लोगो के पास हम और आप.

यदि भारत के किसी भी भाग में उपरोक्त काम करने में इच्छुक है तो हमें सम्पर्क करे. हमारा ईमेल है.
abckadwa@gmail.com

Tuesday 16 August 2011

होमिओपैथी में खुराक को कैसे निर्धारित करते है, दवा खाते वक़्त किन निर्बंधो का पालन करते है, दवा को दोहराते कब है. (What is one dose, what are the restrictions, when should the dose be repeated.)

आइये इन सवालो का एक एक करके जवाब देते है.

दवा का निर्धारण मात्रा में नहीं होता है. एक गोली भी वही काम करेगी जितना सौ गोली करेगी. इसलिए बेहतर है की एक गोली ले. खर्चा भी कम आएगा. यह मायने रखता है जब आप अस्पताल नाम मात्र शुल्क पर चलाते है.

कुछ लोगो का यह मानना है की दवा वाटर डोस में अच्छा काम करती है. वाटर डोस बनाने के लिए १ गोली दवा को १ लीटर पानी में डाले. इसमें से १ चमचा दवा एक खुराक के रूप में ले. मै खुद वाटर डोस में दवा नहीं देता हु. लेकिन यह बात मैंने इसलिए बतायी की वाटर डोस की पद्धति से आपको यह यकीन हो जायेगा की होमिओपैथी में मात्रा कोई मायने नहीं रखती.

दूसरा सवाल है की दवा लेते समय किन पथ्यो का पालन करे. दवा को बोतल के ढक्कन में बोतल से डाले. दवा को हाथ में रखकर मुह में ना डाले. बोतल के ढक्कन से ही दवा मुह में उतारे.
दवा खाने के आध घंटा पहले मुह को पानी के कुल्ले से साफ़ करे. दवा खाने के आध घंटा पहले और आध घंटा बाद में आपके मुह में खाने पिने की कोई चीज ना जाये. जैसे सुबह ८ बजे यदि आपको दवा खानी है तो ७.३० बजे पानी से कुल्ला करे.  बेहतर है की मंजन आप दवा खाने के एक घंटा पहले ही कर ले. ७.३० बजे से ८.३० बजे तक आप कुछ खाए पिए नहीं. पानी भी ना पिए. गुटखा, तम्बाखू एक घंटा पहले और एक घंटा बाद तक ना खाए.
होमिओपैथी दवा खाने वाला आदमी कच्चा प्याज और कच्चा लहसन न खाए. यदि बी पी की शिकायत के कारन कच्चा लहसन खाते है तो दवा में और लहसन में २ घंटे का अंतर रखे.
कोफ्फ़ी न पिए, शराब ना पिए. मन को शांत रखे. 

तीसरा सवाल है की दवा को दोहराया कब जाए.

जैसे की मै पहले ही बता चूका हु, होमिओपैथी शरीर के मार्गदर्शक का काम करती है.  वह अपने आप में कोई शारीरिक क्रिया में किसी रसायन के माध्यम से कोई दखल नहीं देती है. संयुक्तिक या विचार युक्त दवा की ५ खुराक १२ घंटे के अंतर से शरीर का मार्गदर्शन करने में सक्षम है. तो पाच खुराक ले कर पेशंट को एक हप्ता इन्तजार करना चाहिए उसके परिणाम का. जितना विचार करना है विचार युक्त दवा खाने के पहले करे. हड़बड़ी में तीन चार दवा एक साथ ले लेना या एक के बाद दूसरी दवा को फटाफट लेना विचारो में अस्तव्यस्तता की निशानी है. ऐसा न करे.

आप दवा की शुरुआत २०० पोटेंसी से कर सकते है. ३० पोटेंसी में आप दवा की अधिक खुराक जैसे पांच के बदले १० ले सकते है.

आपको दस पंधरा दिन तक देखते रहना है की दवा का परिणाम क्या आता है. यदि परिणाम अच्छा आया था और बाद में फिर तकलीफ शुरू हो जाती है तो दवा को उसी तरह वापस लेना है.
यदि परिणाम से आप संतुष्ट नहीं तो पोटेंसी बढाने के या दूसरी दवा के बारे में सोचे.

मै अक्सर २०० पोटेंसी से शुरू करता हु और ऊपर दी हुई पद्धति का अनुसरण करता हूँ. मै केवल एक गोली एक खुराक के रूप में देता हु.  यह पद्धति मेरे लिए अच्छा काम कर रही है. कुछ मामलो में मैंने सीधे १ एम पोटेंसी दी. कुछ मामलो में मैंने ३० सी पोटेंसी को रोज दोहराया. लेकिन ये मामले बहुत नहीं है.

होमिओपैथी दवा घर में कैसे बनाये? (How to make homeopathy meds at home?)

आप यदि किसी होमिओपैथी दवा की दूकान पर जाते हो तो आपको आपको दवा दो प्रकार की मिलेंगी.
१. सिल की हुई बोतल में.
२. दुकानदार आपको बड़ी बोतल से छोटी बोतल में दवा डालकर और उसपर दवा का नाम चिपका कर देगा.

कुछ लोगो का ऐसा मानना है की सिर्फ जर्मन दवा ही अच्छी होती है. लेकिन यह धारणा गलत है. अब हमें इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा.

जो दवा सिल पैक में मिलती है वह १० एम एल, ३० एम एल ऐसे साइज में मिलती है. आप छुट्टी दवा लेते है तो ५ एम एल साइज में भी मिलेगी. यहाँ हम सिर्फ लिक्विड दैलूशन की बात कर रहे है. दवा लिक्विड रूप में खरीदकर बाद में उससे गोली बनाना सस्ता पड़ता है.

५ एम एल छुट्टी दवा आपको ८-१२ रूपये में मिलेगी. आप १०० ग्राम शक्कर के ग्लोबुल्स (गोली) १० रूपये में खरीद सकते है. आप ३० नम्बर के या बीस नंबर के ग्लोबुल्स ख़रीदे. १० नंबर के ग्लोबुल्स बहोत छोटे होने से लेने में दिक्कत होती है. आप चार ३० एम एल की ४ खाली बोतले भी दुकान से ख़रीदे. ये चार बोतले भी आपको १० रूपये में मिलेगी. चारो बोतलों में ग्लोबुल्स हाथ से स्पर्श ना करते हुए भरे. आप चाडी का प्रयोग कर सकते है. आपके हाथ स्वच्छ और सूखे होने चाहिए. थोडा बहोत स्पर्श होता है तो भी डर नहीं. जो ५ एम एल दवा आपको लिक्विड डैलुशन के रूप में मिलेगी उसपर चोच लगी होगी. आपको चोच से ७-१० बुँदे चारो बोतलों में ऊपर से डालनी है. यदि चोच ना भी हो तो आप सावधानी पूर्वक बोतल से एक चौथाई दवा हर ग्लोबुल्स वाली बोतल में डाले. सौ ग्राम ग्लोबुल्स को इस तरह आप केवल तीस रूपये में बना सकते है.
एक खुराक में सिर्फ एक गोली लेनी है. १०० ग्राम में सैकड़ो गोलिया है. इसीलिए हमने कहा है की यह एकदम सस्ता इलाज है.

आप दुकानदार से किसी दवा को ग्लोबुल्स के रूप में खरीदते है तो वह आपको ५ ग्राम ग्लोबुल्स १० रूपये में देगा.

हमने यहाँ जिन दवाओ की बात की है वह ६ सी पोटेंसी से अधिक की पोटेंसी वाली दवाइया है. इन दवाइयों के लिक्विड डैलुशन मिलते है. एक्स पोटेंसी का लिक्विड डैलुशन नहीं मिलता. एक्स पोटेंसी की दवा सीधे दुकान से गोली के रूप में खरीदनी पड़ेगी.
मदर टिंचर का प्रयोग इस प्रकार गोली में डालकर नहीं करते है. वह सीधा पानी में डालकर पिने से या मुह में टपकाकर प्रयुक्त होता है. सो मदर टिंचर भी महंगा पड़ता है.

होमिओपैथी में दवा का चयन कैसे किया जाता है? (How to select a remedy in homeopathy?)

होमिओपैथी में दवा का चयन कैसे किया जाता है?

दवा के चयन के दो मुख्य आधार है ...
१. रेपरटरी
२. मटेरिया मेडिका

मटेरिया मेडिका में अनेक दवा के लक्षण दिए हुए है. आप यदि किसी भी दवा को मटेरिया मेडिका में देखते हो तो आप पाएंगे की जिस तरह हमने पेशंट से जानकारी लेने के लिए एक प्रश्नावली यहाँ (कृपया पहले के पोस्ट देखे) दी है उसी प्रकार हर दवा में अनेक अनेक लक्षण दिए जाते है.

जो आदमी मटेरिया मेडिका पहली बार पढता है वह तो बहोत आश्चर्य करता है की इसमे तो हर दवा हर लक्षण पर काम करती है. यही होमिओपैथी को काम करने से रोकने वाली सोच है. हर दवा अनेक लक्षणों पर तभी कर करेगी जब पेशंट के लक्षण (सिम्पटम्स) समग्र रूप में उससे मेल खायेंगे.

समग्र रूप से मेल खाने का मतलब यह नहीं है की जितने लक्षण मटेरिया मेडिका में दिए हुए है वो सब पेशंट में रहे. उसका मतलब है की पेशंट ने दवा के साथ मेल खाना चाहिए.

जैसे हर २ टांग वाले आदमी को अमिताभ जैसा नहीं कहा जा सकता. आप देखेंगे की उसकी हाइट कितनी है. यदि उसकी हाइट ६ फीट से ज्यादा है तो भी उसे अमिताभ जैसा नहीं कहा जा सकता यदि वह बहोत मोटा है. अगर उसका रूप अमिताभ जैसा है लेकिन बाते करते वक़्त यदि वह शालीनता नहीं दिखाता है तो उसे अमिताभ जैसा नहीं कही जा सकता.
लेकिन कोई आदमी यदि अमिताभ की सी अदब रखता है तो उसका रूप रंग भिन्न हो तो भी आप उसे अमिताभ कहेंगे. उसी तरह यदि अपने गुणों से पैसा बनाने में यदि कोई आदमी बहोत माहिर है तो आप उसे सचिन तेंदुलकर कहेंगे. भले ही उस आदमी ने कभी हाथ में बल्ला न पकड़ा हो.

किसी पेशंट में किसी रेमिडी को देखना यह एक कला है और वह कला अभ्यास से ही आती है.
रेपरटरी में लक्षणों की सूचि होती है. और हर लक्षण के सामने उन दवाइयों के नाम दिए होते है जो इन लक्षणों को ठीक करने में कारगर सिद्ध हुई है.
रेपरटरी का उपयोग करके हम जो दवा हमें मटेरिया मेडिका के तौलनिक अभ्यास से सबसे ज्यादा संयुक्तिक प्रतीत होती है उसे चुनते है.
हम चार पांच लक्षणों से रेपरटरी का अवलोकन करके बाद में मटेरिया मेडिका के आधार पर संयुक्तिक दवा तक पहुचते है.

कभी कभी कुछ लक्षण ऐसे होते है की जिसके लिए दवा की खोज करना बहोत आसान होता है. रेपरटरी और मटेरिया मेडिका खोलकर देखने की जरुरत नहीं पड़ती.

जैसे यदि किसी को एक्सिडेंट होने से सदमा पहुचता है तो उसकी दवा आर्निका है.
एक्सिडेंट के कारण यदि हड्डी की चोट है तो पहले आर्निका लेने के बाद उसने रुता लेना चाहिए. यदि वह बैठने से अकड़ जाता है तो रह्स टॉक्स लेना चाहिए.
यदि ऊँगली कट जाती है या ऐसा ही कुछ होता है तो कैलेंदुला लेना चाहिए.
जखम बड़ी है और उसमे सुजन है तो लेडम पाल लेना चाहिए.
जखम की वजह से बहोत दर्द है तो हायपरीकम लेना चाहिए.

होमीओपैथी में मूल दवा का एक भी परमाणु नहीं है तो वह काम कैसे करती है? (How does a homeopathic remedy work when there is not a single molecule of the original medicinal substance.)

होमीओपैथी में मूल दवा का एक भी परमाणु नहीं है तो वह काम कैसे करती है?

जैसे हम आपको पहले बता चुके है की होमिओपैथी शरीर की मार्गदर्शक है.  वह शरीर में खुद की बदौलत कोई रासायनिक परिवर्तन ला कर शरीर को ठीक नहीं करती है. वह शरीर का आवाहन करती है.

होमिओपैथी के जनक का यह मानना था की शरीर को हर मर्ज के लिए अलग दवा की जरुरत नहीं है. उसे सम्पूर्ण लक्षण के आधार पर केवल एक ही दवा दी जानी चाहिए. अब सवाल आता है की उस दवा का चयन कैसे करे. तो उन्होंने कहा की उसका चयन केवल एक ही आधार पर हो सकता है. वह आधार ऐसा है. अनेक स्वस्थ व्यक्ति एक औषधीय पदार्थ को खाए जिसके औषधीय गुणों का परिक्षण करना है. उस पदार्थ को खाने के बाद व्यक्तियों में अलग अलग प्रकार के लक्षण प्रकट होंगे. उन सभी लक्षणों को ठीक से लिखे. इस संकलन के आधार पर मटेरिया मेडिका बनाये. तो मटेरिया मेडिका में औषधीय तत्व को खाने के बाद स्वस्थ व्यक्ति में कौनसे लक्षण उत्पन्न होते है यह दिया होता है.
इसके अलावा मटेरिया मेडिका में एक और आधार पर कुछ लिखा जा सकता है. वह आधार है क्लिनिकल अनुभव. याने वह दवा देने के बाद पेशंट के कौनसे रोग ठीक हुए यह क्लिनिक के अनुभव बताते है.

अस्वस्थ व्यक्ति को जब यही दवा उसकी अस्वस्थता के लक्षणों के लिए दी जाती है तो वह ठीक हो जाता है.

सबसे बड़ा अलगपन होमिओपैथी में यह है की इसमें दवा मात्रा में नहीं दी जाती है. दवा आपने देखा होगा की अक्सर मात्रा में दी जाती है जैसे ५ एम जी की गोली, २५ एम जी की गोली. होमिओपैथी में दवा इस प्रकार ना देने का कारण है उसमे मूल तत्व का भौतिक रूप में न होना. केवल मार्गदर्शन के लिए होना.

डा हनिमन ने मानो दवा बनाने की पद्धति में एक क्रांति कर दी. उन्होंने कहा की दवा स्थूल मात्रा में नहीं बल्कि पोटेंसी के रूप में खिलाये.

उन्होंने कहा की पोटेंसी बनाने की दो स्केल है. एक एक्स पोटेंसी और दूसरी सी पोटेंसी.

एक्स पोटेंसी बनाने के लिए मूल दवा एक भाग ले और जो तत्त्व घोल बनाने का काम करेगा उसके ९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है १ एक्स पोटेंसी.

इस १ एक्स पोटेंसी के घोल से १ भाग ले और घोल के तत्व का काम करने वाले तत्व के ९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है २ एक्स पोटेंसी.

इस २ एक्स पोटेंसी के घोल से १ भाग ले और घोल के तत्व का काम करने वाले तत्व के ९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है ३ एक्स पोटेंसी.

इस प्रकार जब आप क्रम से आगे बढ़ेंगे तो आप को +१ पोटेंसी मिलती जायेगी. आपको यदि ३० एक्स पोटेंसी चाहिए तो आपको ३० बार यह क्रिया करनी पड़ेगी.

सी पोटेंसी बनाने के लिए मूल दवा एक भाग ले और जो तत्त्व घोल बनाने का काम करेगा उसके ९९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है १ सी पोटेंसी.

इस १ सी पोटेंसी के घोल से १ भाग ले और घोल के तत्व का काम करने वाले तत्व के ९९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है २ सी पोटेंसी.

इस २ सी पोटेंसी के घोल से १ भाग ले और घोल के तत्व का काम करने वाले तत्व के ९९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है ३ सी पोटेंसी.

इस प्रकार जब आप क्रम से आगे बढ़ेंगे तो आप को +१ पोटेंसी मिलती जायेगी. आपको यदि ३० सी पोटेंसी चाहिए तो आपको ३० बार यह क्रिया करनी पड़ेगी.

पोटेंसी बनाने की यह सब जटिल क्रिया आपको खुद नहीं करनी है. आज कल पोटेनटेजर मशीने आती है जो अलग अलग पोटेंसी बड़ी आसनी से बनाके देती है.

जब पोटेंसी ३० सी के आगे निकल जाती है तो उसमे मूल दवा का रेणु नहीं होता. उसके पहले मूल दवा का रेणु उसमे होता है.

घोल बनाने के लिए अल्कोहोल का प्रयोग होता है.

आप को होमिओपैथी की दवा घर पर नहीं बनानी है, वह दूकान से लानी है.

हमारा मकसद होमिओपैथी के पीछे क्या विज्ञान है इसे जानना नहीं है. हमारा मकसद है किस तरह एक असरकारी दवा छोटे छोटे गावो तक इंटर नेट, कॉल सेण्टर इत्यादि के माध्यम से पहुचाई जाये. हम यहाँ ऐसे असंख्य  मामले प्रस्तुत करेंगे जिसमे आप देखेंगे की होमिओपैथी काम करती है.

Monday 15 August 2011

होमिओपैथी को जन सामान्य की पैथी बनाने के लिए विचार रख रहा हु. (My thoughts on implementation of Homeopathy on a wide scale in rural areas.)

आइये बात करे एक ऐसे पैथी की जो बिलकुल ही सस्ती है. हा इतनी सस्ती की बिलकुल मुफ्त. वह पैथी है होमिओपैथी.

होमिओपैथी में मूल दवा का एक परमाणु भी नहीं होता है इसलिए यह संभव है की आपको दवा इतनी सस्ती मिल सकती है.
होमिओपैथी दवा शरीर के मार्गदर्शक का काम करती है. इसलिए दवा का सही चयन और एक के बाद दूसरी दवा का क्रम इसमें बहोत मायने रखता है.
डा. सामुएल हनिमन होमिओपैथी के जनक है. आप एलोपैथी की सर्वोच्च पदवी प्राप्त कर चुके थे. लेकिन एलोपैथी की काम करने की पद्धति से आपको आपत्ति होने के कारण आपने गहन अभ्यास और अथक परिश्रम के बाद होमिपैथी का विकास किया.
होमोओपैथी यदि इतनी सस्ती है तो उसका प्रयोग व्यापक स्तर पर क्यों नहीं हो रहा है?
उसकी वजह है की होमोपैथी को दूसरी पैथियो की तरह प्रयोग करनी की कोशिश होती है जिससे परिणाम नहीं मिलते है.
मतलब यह है की हर पैथी के कुछ आधार होते है और उस पैथी के अंतर्गत दवा उसी आधार पर दी जाती है. जैसे एलोपैथी में दवा का वर्गीकरण ऐसे हो सकता है जैसे...
१. दर्द को ख़त्म करने वाली दवा
२. बुखार को उतारने वाली दवा.
३. नींद लाने वाली दवा.
४. स्टिरोइड.
५. विटामिन सप्लीमेंट्स.

तो यदि मरीज को बुखार है तो उसे बुखार उतरने वाली दवा दी जाएगी.
यदि उसे नींद नहीं आती है तो नींद आने की गोली दी जाएगी.
एलोपैथी में आपात परिस्थिति में स्टिरोइड का प्रयोग भी करते है. जी हा यह बात सच है की स्टेरोइड ने एलोपैथी को चमत्कारिक शक्ति प्रदान की है और यह भी बात सच है की उसे साइड इफेक्ट्स भी भयंकर होते है.
दर्द निवारक शक्ति तो दर्द निवारक औषधियों में होती है लेकिन उसके दुष्परिणाम लीवर, किडनी जैसे महत्त्वपूर्ण अंगो पर बड़े पैमाने पर हो सकते है.

हम ने यह सब बाते यहाँ इसलिए कही है की लोगो का, खासकर गाव के लोगो का अलोपैथी पर विश्वास है. वो जबतक चमकीले कागज में दवा न देखे, इंजेक्शन न देखे उन्हें तो लगता ही नहीं की दवाखाने आये है.

साहब ऐसा न समझे की हम ये सब बाते किसी को निचा दिखने के लिए कह रहे है. हमारी ऐसी कोई कोशिश नहीं है. हम तो बस इस पक्ष में कुछ बाते रखना चाहते है की होमिपैथी को एक मौका तो दे. और भी बात है की यहाँ ग्यारंटी वाली कोई बात नहीं है. और मुझ पर जुरमाना वगैरह लगाने की कोई बात ना सोचे. मै आपके सामने एक विचार रख रहा हु उसपर गौर बस कीजिये.

तो होमिओपैथि में ख़ास बात क्या है, अलग बात क्या है इस पर आ जाए. होमिओपैथी में हर लक्षण के लिए अलग दवा नहीं दी जाती है. इस में व्यक्ति के सारे लक्षण लिए जाते है.

आप आपके पेशंट से निचे दी हुई बाते पूछे.

 होमोपैथी में बहुत दवा है. यदि पूरी बात पता नहीं चली तो दवा बताने में  दिक्क़त होती है.

**१. आप का मिजाज कैसा है?  गुस्सेबाज, ठंडा दिमाग, हर किसीसे प्यार, हर किसीसे नफरत, या आप  ही बताये कैसे है आप.

**२. आपके बदन में क्या क्या तकलीफ है जैसे सर दर्द, कमर का दर्द इत्यादि, दर्द को ठीक तरहसे पूरा बताये

**३. आपको ठंडी का मौसम अच्छा लगता है  खुली हवा अच्छी लगती है या गर्मी का मौसम अच्छा लगता है,  क्या खुदको ढक कर रहते हो

**४. किस वक़्त आप सुहाना महसूस करते है और किस वक़्त आप ठीक नहीं होते. जैसे सुबह में आपका मिजाज ठीक होता है और रात को बिगड़ जाता है.

**५. आपकी नींद कैसी है.

**६. आपको पसीना कितना आता है? ज्यादा या कम. कहा पर आता है - पेट पर,  मुह पर, सर पर.

**७. आपकी प्यास कैसी है. आप पानी, गरम पेय और शीत पेय कितना पीते है. एक बार में थोडा पीते है या ज्यादा पीते है.

 **८. आपकी परेशानी एक जगह बैठने से या आराम करने से बढाती है या घुमने फिरने से, काम करने से बढती है

**९. आपका हाजमा कैसा है.  हाजमे में कोई दिक्कत है. आप रोज कितनी बार जाते है. पेट पूरा साफ़ होता है या कब्जियत रहती है.

**१०. आप को यौन से सबंधित कोई शिकायत है क्या.

**११. यदि आप स्त्री है तो क्या आपकी माहवारी ठीक से आती है.
क्या महीने के महीने आती है. ठीक समय पर.
कितने दिन रहती है.
प्रदर में खून ज्यादा जाता है, कम जाता है या बराबर.
क्या आपको प्रदर के पहले, उसके दौरान या उसके बाद में कोई शिकायत होती है. जैसे कोथे में दर्द, हाथ पैर में दर्द, बुखार आना, उलटी होना इत्यादि.
**१२. आपकी उम्र कितनी है, कद कितना है, वजन कितना है.

 आपको पेशंट से उपरोक्त जानकारी लेने के बाद में ही दवा तय करनी है. यदि आप कहेंगे की बुखार है तो ये दवा दे देता हु. दर्द है तो वह दवा दे देता हु तो काम नहीं चलेगा.